बुधवार, 23 सितंबर 2015



 आधुनिक अवधी की त्रयी
पढीस  वंशीधर शुक्ल और रमई काका
आधुनिक अवधी के विकास का काल उन्नीसवी सदी के अंतिमदशक से यानी बलभद्र प्साद दीक्षित’पढीस’ जी (अम्बर पुर सीतापुर,उ.प्र.)के आविर्भाव से माना जाता है।उन्होने सप्रयोजन अवधी मे कविता शुरू की।आकाशवाणी लखनऊ से अवधी मे पहला कार्यक्रम शुरू कराया।अपने गांव के पास किसान पाठशाला चलायी।उसी परंपरा का दूरतक निर्वाह उनके बाद वंशीधर शुक्ल(मनेउरा लखीमपुर उ.प्र.) ने किया।किसानो की वेदना को जिस समर्थ आवाज की जरूरत थी उस स्वर मे शुक्ल जी ने अवधी मे कविताई करके उनका उपकार किया।पहली विधान सभा के लिए वे विधायक भी चुने गये बाद मे किसानो की दुर्दशा देखर उन्होने सक्रिय राजनीति से सन्यास ले लिया। चन्द्रभूषण त्रिवेदी ‘रमई काका’ ने अवधी को नए पाठक और श्रोता दिये।बहिरे बाबा जैसे पात्र एक जमाने मे बेहद प्रसिद्ध हुए।जीवन भर अवधी की कविता की और किसान की दुनिया मे आते जाते रहे।हमारे अवधी समाज को इन तीनो कवियो पर गर्व है।