चिरैया
याक चिरिया कहूँ ते आयी है
जी के हाथेम दियासलाई है।
पैनि छुरिया कसे कमर मा है
हाथ –मा नोट हैं ,मिठाई है ।
फाटिगा आसमान सुर्जु बुझा
फिरि छिड़ी गाँव मा लड़ाई है।
जिनके मुँह पर रहै खुसी नाचति
आजु तौ उड़ि रही हवाई है।
जलि रहीं महजिदैं कहूँ मंदिर
मुरदनी गाँव भरेम छाई है।
भारतेन्दु मिश्र
सोमवार, 30 मार्च 2009
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