रविवार, 7 फ़रवरी 2021

अवधी बाल गीत @ डॉ.भारतेंदु मिसिर

अवधी बाल गीत 
 @ डॉ.भारतेंदु मिसिर

 1.रामू की गैया 

 रामू के घर गैया आयी
 मैया जस सुख सम्पति लाई | 
 उज्जल गैया है बड़ी सीधि 
 खेलत सब बछिया के संग 
 अब दूध दही की कमी नहीं 
 घर के लरिका हुइगे मलंग | 
रामू वाहिका अपने हाथे ते 
 हरियर घास खवावत है 
 फिर बड़े दुलारन मा गैया का
 माथा वहु सोहरावत है | 

 अपनी बछिया का देखि देखि 
 गैया मैया खुस होती हैं 
 बछिया का मुंह चाटत बेरा 
 रामू का चाटै लगती हैं | 

 2. तालाब न पाटौ

 कुआं सुखाने नल सुखाय गे 
 पानी नीचे बहुत चला गा 
 अपने घर का कूड़ा कचरा 
 ताल किनारे पर ना डारो 
 काम चलत है जैसे तैसे 
 आंबे का बिरवा झुराय गा| 

 बाग कटी तब सड़क बनी है 
 अब हरियर बिरवा ना काटौ 
 सब मिलि साफ करो सरवर जल 
 गाँव क्यार तालाब न पाटौ | 
ताल रही तो पशू नहैहैं 
 यहिमा फरे सिंघाड़ा खैहैं 
 यहिके जल मा हमहू उतरब 
 दिदिया के संग तैरब सीखब | 

 3. मोबाइल आवा है 

 नएका मोबाइल आवा है 
 जानौ कम्पूटर पावा है 
 पूरी दुनिया के नाटक सब 
 देखि मिलति हैं हमहू का अब 
 तुरतै यहिते मिलै संदेसा 
 देस होय चाहे परदेसा 
 रूपा यहिते करे पढाई 
 हमहू सीख लीन कुछ भाई 
 सबते सकल देखि बतलायी 
 सब दुनिया मुट्टी मा आयी |

 4. भोला का जन्मदिन 

 भोला क्यार जन्मदिन आवा 
 वहिके मन विचार यू भावा| 
 चलो दुआरे नीम लगायी 
 छांह मिले सीतल सुखदायी 
 कौआ सुआ चिरैया अइहैं 
 सब आपन घर हिंया बनइहैं 
 टिल टिल करिहैं गिल्लो रानी 
 खाट बिछैहैं बूढ़ी नानी| 
 वहिके तरे बैठिके काका 
कथा सुनैहें मारि ठहाका 
 वहिके तरे नांद बनि जाई
 गाय छांह मा बांधी जाई 
 सब तन हवा साफ़ हुइ जाई 
 बाबा का दतून मिल जाई |

 5. मैट्रो रेल 

 बड़ा नीक है सहर हमार 
 मेट्रो पर हम हुए सवार |
जस बैठे तस मन खुस हुइगा 
 चमचम चमकै मैट्रो रेल| 

 अपने आप खुले दरवाजा 
 अपने आप हुए फिर बंद 
 बूढ़ होय चाहे दिव्यांग 
 सबकी सुविधा का आनंद 
 नए जमाने की यह रेल | 

 खुद मंजिल का पता बतावे 
 बार बार टेसन गोहरावे 
 बिना धुंआ डीजल पिटरोल 
बिना ड्राइबर अजब तमासा 
 आसमान मा दौड़े रेल| 

 चलसीढ़ी का नवा कमाल 
 वा सबका ऊपर लै जाय 
 हमरे घर ते बहुत नगीचे 
 हिंया बनी धरती के नीचे 
 सबते नीक मेट्रो रेल | 
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