दुइ गीत:माई जी
अवधी अकादमी के संचालक
अउरु –बोली बानी क्यार संपादक : जगदीश पीयूष के दुइ गीत
एक
बरैँ अँधरू पड.उनू
चबाँय माई जी।
पइसा आवा सरकारी पुला बनै कै तयारी
होय हेरा फेरी जाने ना
खोदाय माई जी।
आई एमेले कै निधि
खाइ लेइ कौन विधि
गवा अपनौ निमरुआ मोटाय माई जी।
होय अन्न कै खरीद
घाल मेल कै रसीद
मिलि बाँटि-बाँटि खाँय डेकराँय माई जी।
आवे जब जब धन
बनि जाय करधन
गोरी पतली कमरिया पिराय माई जी।
दो
कुर्ता खादी का चौचक ताकैँ गाँधी जी भौचक
होइगे घरे घरे नेतवे दलाल माई जी।
चाटैँ राजनीति कै चाट
रोजै बदलैँ धोबी घाट
धक्का मुक्की होइगा देसवा धमाल माई जी।
चारिव ओरी मारामारी
जेका देखा ठेकेदारी
होइगे मंत्री जी कै पूत मालामाल माई जी।
अफसर होइगे बेइमान
नौकर चाकर भरे गुमान
वोटवा हुइगा हमरी जान- क बवाल माई जी।
करै धीरे धीरे हमका हलाल माई जी॥
(संपर्क: संपादक –बोली बानी,अवधी अकादमी,गौरी गंज,सुलतान पुर उ.प्र.फोन:09415137521)
मंगलवार, 7 जुलाई 2009
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