सोमवार, 24 अगस्त 2009

नई रोसनी :अवधी उपन्यास

---------- Forwarded message ----------
From: Arvind Kumar
Date: ०३-०८-२००९ २:
भारतेंदु जी

अ भा हिंदी विमर्ष पर आप के उपन्यास का परिचय आ गया है. दो और एक दो जगह भी आएगा.

From: hindi-vimarsh@googlegroups.com [mailto:hindi-vimarsh@googlegroups.com] On Behalf Of Arvind Kumar
Sent: Monday, August 03, 2009 8:23 AM
To: hindi-vimarsh@googlegroups.com
Subject: {हिंदी-विमर्श:1488} Hindi ki Lokbhashaen aur Avadhi ka pehla adhunik upanyas

प्रिय मित्रो

हिंदी की लोकभाषाएँ अपने आप में स्वतंत्र भाषाएँ हैं. यूरोप के कई देश हैं जिन की आबादी हमारे ऐसे भाषा क्षेत्रों से बहुत कम हैं. लेकिन उनके मुक़ाबले, जहाँ तक आधुनिक गद्य का सवाल है, सचमुच पिछड़ी हैं. उदाहरण के लिए ब्रजभाषा या अवधी---ब्रज अभी तक राधा कृष्ण काव्य से और अवधी रामचरित से आगे नहीं बढ़ पा रहीं. इन में कुछ फ़िल्में भी बनीं, पर बात वहीं रुक गई. इन क्षेत्रों में छपने वाले दैनिक मासिक पत्र अपनी स्थानीय भाषाओं को सप्ताह तो क्या महीने में भर में निज भाषा में राजनीति सामाजिक या तकनीकी विषयों पर एक भी पन्ना नहीं देते. तो उपयुक्त माध्यम के अभाव में आधुनिक गद्य का विकास अवरुद्ध हो जाता है.
सच यह है कि इन में गद्य और साथ साथ शब्दावली के विकास से ये भीसमृद्ध होंगी और हिंदी भी. मैं समझता हूँ कि जागरूक लोगों को इस मामले में आगे आना चाहिए और जब भी मौक़ा हो, समाचार पत्रों में स्थानीय भाषाओं के समावेश की आवश्यकता को प्रचारित करना चाहिए.यह मेल भेजने का तत्काल कारण है मेरे मित्र और सुपरिचित भारतेंदु मित्र के अवधी उपन्यास नई रोसनी का प्रकाशन. सुंदर गद्य और सुंदर कथ्य. इस के बारे में जानकारी नीचे चिपका रहा हूँ. हो सके तो स्थान दें—

नईरोसनी” :अवधी उपन्यास
किसी भी भाषा की समृद्धि उसके गद्य के विकास पर
आधारित होती है। अवधी मे गद्य का प्रयोग प्राय: नगण्य ही रहा है। ‘ नई रोसनी’ भारतेन्दु मिश्र द्वारा लिखा संभवत: पहला अवधी उपन्यास है। अवधी मेँ न तो कोई चैनल है और न कोई अखबार । लखनऊ से प्रकाशित होने वाले तमाम दैनिक समाचार है किंतु अवधी मे एक पृष्ठ की भी सामग्री नही मिलती । लखनऊ,कानपुर,फैजाबाद आदि जगहोँ से निकलने वाले अखबारोँ के साप्ताहिक परिशिष्ट मेँ भी कुछ स्थान अवधी के लिए निर्धारित होना चाहिए। 96 पृष्ठोँ मेँ पेपरबैक संस्करण वाले इस उपन्यास का मूल्य केवल रु.60/ है। बहरहाल इस पुस्तक मेँ आधुनिक अवधी गद्य का सुन्दर प्रयोग किया गया है। इसका प्राप्ति स्थान इस प्रकार है:
कश्यप पब्लिकेशन
बी-48/यूजी-4,दिलशाद एक्सटेंशन-2, डी एल एफ,गाजियाबाद -05
kashyappublication@yahoo.com

प्रिय भाई
हिंदी की लोकभाषाएँ अपने आप में स्वतंत्र भाषाएँ हैं. यूरोप के कई देश हैं जिन की आबादी हमारे ऐसे भाषा क्षेत्रों से बहुत कम हैं. लेकिन उनके मुक़ाबले, जहाँ तक आधुनिक गद्य का सवाल है, सचमुच पिछड़ी हैं. उदाहरण के लिए ब्रजभाषा या अवधी---ब्रज अभी तक राधा कृष्ण काव्य से और अवधी रामचरित से आगे नहीं बढ़ पा रहीं. इन में कुछ फ़िल्में भी बनीं, पर बात वहीं रुक गई. इन क्षेत्रों में छपने वाले दैनिक मासिक पत्र अपनी स्थानीय भाषाओं को सप्ताह तो क्या महीने में भर में निज भाषा में राजनीति सामाजिक या तकनीकी विषयों पर एक भी पन्ना नहीं देते. तो उपयुक्त माध्यम के अभाव में आधुनिक गद्य का विकास अवरुद्ध हो जाता है.
सच यह है कि इन में गद्य और साथ साथ शब्दावली के विकास से ये भीसमृद्ध होंगी और हिंदी भी. मैं समझता हूँ कि जागरूक लोगों को इस मामले में आगे आना चाहिए और जब भी मौक़ा हो, समाचार पत्रों में स्थानीय भाषाओं के समावेश की आवश्यकता को प्रचारित करना चाहिए.

यह मेल भेजने का तत्काल कारण है मेरे मित्र और सुपरिचित भारतेंदु मित्र के अवधी उपन्यास नई रोसनी का प्रकाशन. सुंदर गद्य और सुंदर कथ्य. इस के बारे में जानकारी नीचे चिपका रहा हूँ. हो सके तो स्थान दें—


“नई रोसनी” :अवधी उपन्यास
किसी भी भाषा की समृद्धि उसके गद्य के विकास पर
आधारित होती है। अवधी मे गद्य का प्रयोग प्राय: नगण्य ही रहा है। ‘ नई रोसनी’ भारतेन्दु मिश्र द्वारा लिखा संभवत: पहला अवधी उपन्यास है। अवधी मेँ न तो कोई चैनल है और न कोई अखबार । लखनऊ से प्रकाशित होने वाले तमाम दैनिक समाचार है किंतु अवधी मे एक पृष्ठ की भी सामग्री नही मिलती । लखनऊ,कानपुर,फैजाबाद आदि जगहोँ से निकलने वाले अखबारोँ के साप्ताहिक परिशिष्ट मेँ भी कुछ स्थान अवधी के लिए निर्धारित होना चाहिए।
96 पृष्ठोँ मेँ पेपरबैक संस्करण वाले इस उपन्यास का मूल्य केवल रु.60/ है। बहरहाल इस पुस्तक मेँ आधुनिक अवधी गद्य का सुन्दर प्रयोग किया गया है। इसका प्राप्ति स्थान इस प्रकार है:
कश्यप पब्लिकेशन
बी-48/यूजी-4,दिलशाद एक्सटेंशन-2, डी एल एफ,गाजियाबाद -05
kashyappublication@yahoo.com


शुभ कामना सहित
आप का

अरविंद
सी-18 चंद्रनगर (पूर्वी दिल्ली के विवेक विहार और योजना विहार के पास)
गाज़ियाबाद 201011
टेलि - 9312760129 - लैंडलाइन (0120) 4110655

samantarkosh@gmail.com

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