शुक्रवार, 15 सितंबर 2017

धन्यवाद माधव भैया-
इस पुस्तक पर स्वतन्त्र रूप से की गयी यह पहली टिप्पणी है|पढीस जी युग चेता थे उन्होंने अवधी वालों जो दिशा दिखाई आधुनिका अवधी के तमाम कवि उनके पगाचिन्हों पर चलकर  आज भी अवधी की सेवा कर रहे हैं-(राष्ट्रीय सहारा में प्रकाशित )

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