शुक्रवार, 5 जून 2020

लेखक भारतेंदु मिश्र का व्यक्तित्व ...

#गोबरधन कि बीमारी# (ललाम लेख-8 )


#मिसिर भारतेंदु 

अब लॉकडौन खुलिगा लेकिन मौतन का सिलसिला नहीं रुका है।सरकार बहादुर बतावति हैं कि अब यही तना चली।पूरी दुनिया के तालाबंदी खुलि गई। गोबरधन काका हैरान हैं,वुइ बहुतै डेरात हवैं,उनका जिउ हाली हाली  धुकुर पुकुर करै लागत है। डेरात तो वुइ अपनी मेहेरुआ औ लरिकनौ ते हैं।मेहेरुआ और लरिकवन के समुहे उनका बोल नहीं फूटत है|  का जनी बचपने ते  कैसे उनके करेजे मा पैदायसी डेरु समाय गाहै तो वहु निकसत नहीं। जब ते कोरोना आवा है वुइ घरके भीतर मुँह पर अंगौछा कैसे रहत हैं। कौनो बिगिर मास्क के देखाय जाय तो वहिका तक मुसिक्का माने जाबा कसावय न लिहैं तले चुप न हुइहैं।दुनहू लरिका बाहर फंसे रहें तो उनकी चिंता मा गोबरधन काका बहुतै दुखी रहें| हालांकि फोन ते सब राजी खुसी मिल जात हती ,लेकिन चाहै जेत्ता बतलाय ले जिउ मजबूत तो आँखिन के सामने देखेहे तो होत है| 
गजब बात या है कि जब ते लॉकडौन खुला हवै तबते वुनकी धुक धुकी और बढिगै है। दुइ कोठरी क्यार घर दुइ लरिका बाहर ते घर का लौटे हैं।अब लरिकन के लरिका बच्चा सब मिलाइके आठ जने का खर्च हुइगा।चारि बिगहा कि खेती मा काकी के साथै अबलौ वुनका  जस तस काम चलि जात रहै| अब सुरेस पंजाब ते औ महेस जब दिल्ली ते घर लौटा तो पूरा घर भरिगा। याक दिन तो सबका  जिउ बहुत  खुस भा , मुला अब आगे कस कटी। दुनहू खाली जेब कौनिव तना गाडी, रिक्सा  औ पैदर राजी खुसी गांव आय गए। हम सब जनिही न पाएन काका मुख्यमंत्री जोगी क बहुत आसीस दीन्हेनि | सरकार कि तरफ ते हाजर रुपया मिला रहै,गोबरधन मुफ्त मा हजार रुपया मिलैकि बात सुनिकै बड़े खुस भे| पहिले जब लरिका गांवे आवत रहैं तो अपनी कमाई क्यार दस बीस हजार रुपया जेब मा होति रहैं, अबतिक कंगला हुइके आए हैं।नासपीटे कोरोना कि सब करामात आय।यू कुदिन देखके काल्हि ते गोबरधन काका क्यार जिउ तेजी से धुक्कु पुक्कु होय लाग है।
महीना मा पांच दिन मनरेगा मा काम मिला।अबै वहिका पैसा नहीं मिला।कुछ कमाई बार काटे औ हजामत बनावे ते होत रही वहो कोरोना के कारन काम सब बन्द हुइगा रहै।सादी बियाहु को कहै मरनी करनी खातिर कौनो समारोह न भवा| सब कहूं ते दुइ पैसा कि आस ख़तम हुइगै रही|अब जब घर मा आठ जने खाय पिये वाले हुईगे तो वुनकी तबियत  और बिगड़ि गै| काल्हि रतिया मा वुनकी तबियत जब जादा गढियायगै तो दुनहू लरिका उनका डाकडर के पास लै गए, डाकडर जाँच कइके बताएन कि इनका ब्लड प्रेशर घट गवा है।इनका जूस पियावो मौसमी का न मिली तो गन्ने का जूस मिल जाई विहिमा नमक और निम्बुआ मिला के पियाय देव।
लरिकवा नीक आँय तो फटाफट सब गन्ने का रस खोज लाए । वहिका पीकै गोबरधन काका उठिके बैठिगे मुला अबै जिउ का धुकर पुकुर न रुका रहै।पता नहीं उनकी दहसत कब मिटी ,मिट पाई कि न मिटिहै ,इहौ कहना कठिन हवै। असल मा उनकी बीमारी तो लरिकन केर बेकारी आय।
# भारतेंदु मिश्र 
प्रबंधक अवधी समाज 

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