बुधवार, 17 जून 2020

 💐 अवधी देस कि सांस्कृतिक भासा आय💐

(ललाम लेख -10 )
#मिसिर भारतेंदु


भैया अवधिया मनई  दुनियाभरेम जहाँ जहाँ गए हुआँ आपनि रामचरितमानस की पोथी संग लै गए।मनई अपने सुख दुःख के साथी क अपने साथै लैके चलत है| ई सब गिरमिटिया और कमाई खातिर घर ते  निकले गरीब मंजूर बिना केहू ते सिकाइत किहे अपनी समस्या ते जूझत रहे,जब संकट आवा तो कबौ हनुमान चालीसा दोहरावे लाग, कबौ रामचरित पढिके अपन दुख दूरि किहिन।
 अपने देसौ  मा जहाँ गए तो संकट मोचन कि आरती औ चालीसा जरूर साथै रहा।चाहे कलकत्ता गए चाहे मुम्बई, हैदराबाद गए चाहे श्रीनगर सब जगह या अवधियन की भासा अवधी उनकी माई बनिके साथै रही।दुनियाभर मा आरती भजन सब अवधी मा गाए जात हवैं। हमका लागत है कि या अवधी भासा फ़िजी मॉरीशस नेपाल,इंगलैंड,अमरीका,कनाडा सहित दुनिया के तमाम देसन मा हिंदुस्तानी मनई कि सांस्कृतिक भासा बनिगै है।वुइ येही तना  कबौ  चालीसा पढे  खातिर इकठ्ठा हुइगे तो कबहूँ रामकथा के बहाने यानी रामचरितमानस के अखंड पाठ  खातिर परदेस मा इकठ्ठा होत रहे| अबहिनौ परदेस गवा अवधिया परदेसी घर मा अपनी ही  भासा म बतलात है| भोजपुरिया होय चहै हरियाणवी सब बिदेस मा आरती भजन कि बेरिया अवधिया बन जात हवैं | हरियाणा पंजाब मध्यप्रदेश बिहार उड़ीसा तमिलनाडु केरल सब जगह ई अवधिया आपनि आरती भजन अपने साथै जरूर लै गए। एहि तना पूरे हिंदुस्तान मा आरती और भजन कि भासा अवधी बनिगै। अपनी सांस्कृतिक चेतना ते अवधी माई सबका जोड़े रहीं|
मुला का बताई अपने उत्तरप्रदेश के नेतवन का यू सब नहीं सूझत है। जेहिका गरीब मंजूर अपने सुख दुःख मा कब्बौ नहीं छोडिन ई कलजुगी एहसान फरामोस नेता एहि सांस्कृतिक भासा की तरक्की खातिर कौनो गतिका काम न किहिन।जो भासा सबते जादा दुनिया भरेम अपने आप हिंदुस्तानी संस्कृति कि रच्छा किहिस वहिके बिकास खातिर याक अकादमी तके न बनि पाई।अरे धिक्कार है तुमरी नेतागीरी  का|बहुत तकलीफ वाली बात आय लेकिन अबै हार न मनिबे | हम तुम मिलिके अपनी मातृभासा कि तरक्की कि कोसिस जरूर करति रहब।
 दिल्ली  विधानसभा के चुनाव मा हियन के मुख्यमंत्री अरबिंद केजरीवाल हनुमान चालीसा पढिके वोट माँगत हैं, तो जनता खुस हुइके उनका बम्पर वोटन ते जिताऊ बनाय देत हवै।अवधी कि ताकत वहू  जानत हवैं मुला अपन अवधिया नेता बहुतै  ढीठ हैं, ई सब अवधी भासा ते वोट तो खुब पाएनि विधायक बने मंत्री बने मुख्यमंत्री बने, लेकिन ई भासा कि तरक्की कि राह न खोलिन।
का एहि सांस्कृतिक भासा कि हालात कबौ ठीक होई, यह चिंता अवधी के पढ़इया लिखइया नौजवानन के मन मा लगातार बनी रहत है।
###

कोई टिप्पणी नहीं: